इसराइल यूएई के साथ किस तरह से बढ़ा रहा है कारोबार | How Israel is expanding business with the UAE

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इसराइल में यूएई के राजदूत मोहम्मद अल खाजा तेल अवीव स्टॉक एक्सचेंज की घंटी बजाते हुए

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इसराइल में यूएई के राजदूत मोहम्मद अल खाजा तेल अवीव स्टॉक एक्सचेंज की घंटी बजाते हुए

मोहम्मद अल खाजा तेल अवीव स्टॉक एक्सचेंज की घंटी बजाकर कारोबार की शुरुआत करते हैं. उनके घंटी बजाते ही शीशे की चमकदार इमारत में सुनहरी परत उतरती चली जाती है.

इसके बाद जैसे ही इसराइल में संयुक्त अरब अमीरात के दूत मोहम्मद अल खाजा एक्सचेंज के बॉस इताई बेन ज़ीव और संयुक्त अरब अमीरात के वित्तीय केंद्र अबु धाबी ग्लोबल मार्केट के सीईओ अहमद अल ज़ाबी के साथ हाथ मिलाते हैं, तालियों की गड़गड़ाहट गूंजने लगती है.

ये इसराइल के मुख्य स्टॉक एक्सचेंज की कोई सामान्य शुरुआत नहीं थी. बल्कि ये लगातार मज़बूत हो रहे इसराइल और संयुक्त अरब अमीरात के कारोबारी रिश्तों में एक और मील का पत्थर था.

दो साल पहले अमेरिका की मध्यस्थता में संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन ने इसराइल के साथ ऐतिहासिक समझौता किया था जिसे ‘अब्राहम समझौता’ कहा जाता है.

इस समझौते के तहत यूएई और बहरीन ने इसराइल के साथ अपने रिश्तों को सामान्य किया था और राजनयिक रिश्तों को बहाल कर लिया था. खाड़ी के देशों के दशकों से चले आ रहे इसराइल के बहिष्कार का भी इसी के साथ अंत हो गया था.

15 सितंबर 2020 को वाशिंगटन में अब्राहम समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे

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15 सितंबर 2020 को वाशिंगटन में अब्राहम समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे

इस महीने तेल अवीव में हुए कार्यक्रम में संयुक्त अरब अमीरात के दल में निवेशक सबाह अल बिनाली भी शामिल थे. जब मोहम्मद अल खाजा ने एक्सचेंज की घंटी बजाई तब वो मुस्कुरा रहे थे.

इंवेस्टमेंट फंड अवरक्राउड अरेबिया के कार्यकारी चेयरमैन बिनाली कहते हैं, “हम इतिहास को बनते हुए देख रहे हैं. मध्य पूर्व को प्राकृतिक पड़ोसी एक लंबा, मज़बूत और फ़ायदेमंद रिश्ता बना रहे हैं.”

बिनाली को लगता है कि इसराइल और यूएई के बीच बढ़ते कारोबारी रिश्तों से दोनों ही देशों को फ़ायदा होगा.

वो कहते हैं, “अमीरात और इसराइल की कारोबारी और तकनीकी दक्षता में ऐसा प्राकृतिक तालमेल और अनुभव है कि मैं ये उम्मीद करता हूं कि हमारे सहयोग के नतीजे हमारे अब तक के प्रभावशाली हिस्सों से भी अधिक होंगे. “

“हम लॉजिस्टिक, मेडिकल-टेक्नोलॉजी, कृषि-टेक्नोलॉजी और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में मिलकर काम कर रहे हैं. ये वो कुछ क्षेत्र हैं जिनमें सहयोग काफ़ी आगे बढ़ चुका है.”

बिनाली बताते हैं कि पिछले महीने हुई यात्रा के दौरान कई बड़े कारोबारी समझौतों पर सैद्धांतिक सहमति भी बनी है.


अर्थशास्त्री इस बात से सहमत हैं कि अब्राहम समझौतों के बाद इसराइल और संयुक्त अरब अमीरात के बीच कारोबार में बड़े पैमाने पर वृद्धि होगी. एक तरफ़ इसराइल के पास बहुत मज़बूत टेक्नोलॉजी सेक्टर है, ख़ासकर सैन्य तकनीक के मामले में इसराइल काफ़ी आगे है.

दूसरी तरफ़ संयुक्त अरब अमीरात सऊदी अरब के बाद खाड़ी क्षेत्र की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. हालांकि यूएई की अर्थव्यवस्था अभी भी बहुत हद तक तेल की बिक्री पर निर्भर है, लेकिन यूएई अर्थव्यवस्था में विविधता लाने के प्रयास कर रहा है.

केतकी शर्मा डाटा एंड इकोनॉमिक रिसर्च कंपनी अल्गोरिथम रिसर्च की संस्थापक हैं. उनकी कंपनी दुबई स्थित है जो सात अमीरात में से एक है.

केतकी मानती हैं कि अगले पांच सालों में इसराइल और यूएई के बीच कारोबार दस अरब डॉलर को पार कर जाएगा.

शर्मा कहती हैं, “समझौता 2020 में हुआ था और इससे अब तक इसराइल और यूएई दोनों को ही काफ़ी बड़ा फ़ायदा हो चुका है.”

संयुक्त राष्ट्र के डाटा का हवाला देते हुए केतकी शर्मा बताती हैं कि साल 2020 से 2021 के बीच इसराइल का यूएई के लिए निर्यात 7.4 करोड़ डॉलर से बढ़कर 38.4 करोड़ डॉलर हो गया था. वहीं दूसरी तरफ़ यूएई का इसराइल के लिए निर्यात इस दौरान 11.5 करोड़ डॉलर से बढ़कर 63.2 करोड़ डॉलर हो गया.

शर्मा कहती हैं, “दोनों देशों के बीच हुए समझौतों में कृषि, क्लीन एनर्जी, साइबर सिक्यॉरिटी और स्मार्ट सिटीज़ के लिए हुए समझौते भी शामिल हैं.”

“2022 की शुरुआत में दोनों देशों के बीच एक मुक्त व्यापार समझौता भी हुआ था जिसके तहत दोनों देशों के बीच आयात-निर्यात होने वाली चीज़ों में से 96 प्रतिशत से टैक्स हट चुके हैं.”


माना जाता है कि अब्राहम समझौतों के बाद से इसराइल ने सैन्य उपकरणों की बिक्री का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. इसराइल के रक्षा मंत्रालय के मुताबिक 2021 में इसराइल ने 11.3 अरब डॉलर की हथियारों की बिक्री की. इनमें से 7 प्रतिशत यूएई और बहरीन के लिए थी.

इसराइल के पूर्व रक्षा मंत्री मोशे यालून ने बीबीसी से कहा कि इसकी मुख्य वजह ये है कि इस क्षेत्र में सुरक्षा के लिए ख़तरा एक ही है- ईरान.

मोशे यालून

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मोशे यालून

वो कहते हैं, “पिछले एक दशक से अरब देश और इसराइल एक ही ख़तरे का सामना कर रहे हैं, वो है ईरान और उसके सहयोगी, हालांकि फ़लस्तीनी मुद्दा अभी भी है लेकिन अब इसराइल-अरब संघर्ष नहीं है.”

हालांकि फ़लस्तीनी प्राधिकरण ने ऐसे समझौतों की तीख़ी आलोचना की है और इसराइल के साथ आने वाले देशों पर अपने मुद्दे को बेच देने का आरोप लगाया है.

खाड़ी के बाहर, मोरक्को भी अब इसराइल के साथ ऐसे ही समझौते कर चुका है. सूडान ने भी ऐसा ही समझौता किया है लेकिन सूडान और इसराइल के बीच इस दिशा में प्रगति फिलहाल रुकी हुई है.

यालून इस समय साइनेपटेक के चेयरमैन हैं जो अबु धाबी स्थित एक इनवेस्टमेंट फंड है.

वो मानते हैं कि इसराइल और खाड़ी देशों के बीच मज़बूत होते संबंधों का सबसे प्रमुख पक्ष सुरक्षा समझौते हैं. हालांकि राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए वो इस बारे में अधिक जानकारी देने से इनकार करते हैं. उन्होंने सिर्फ़ इतना ही कहा, “हमने सुरक्षा क्षेत्र में सहयोग करने के तरीके निकाल लिए हैं.”

यालून ज़ोर देते हुए कहते हैं कि इसराइल और अरब देशों के बीच सहयोग के मौके कई दूसरे क्षेत्रों में भी हैं.

वो कहते हैं, “खाड़ी देशों के नेताओं को ये अहसास हुआ है कि उन्हें तेल से भी अधिक की ज़रूरत है, जैसे की उच्च स्तरीय तकनीक, विकसित कृषि क्षेत्र, ख़ासकर रेगिस्तान में और पानी पैदा करना. हम भाग्यशाली हैं कि इसराइल में हमने ये तकनीकें विकसित की हैं. ऐसे में हमारे कई साझा हित हैं.”



ऊर्जा क्षेत्र में भी इसराइल और यूएई की कंपनियों के बीच समझौते हो रहे हैं. पिछले साल सितंबर में इसराइल की कंपनी न्यूमेड इनर्जी (उस समय इसका नाम डीलेक ड्रिलिंग था) ने इसराइल के ऑफ़शोर गैस फ़ील्ड तमार में 22 फ़ीसदी हिस्सेदारी यूएई की फर्म मुबादाला इनर्जी को बेचने की घोषणा की थी.

न्यूमेड को सरकार के नियमों का पालन करने के लिए नए ख़रीदार की ज़रूरत थी.

न्यूमेड के सीईओ योसी अबु कहते हैं, “मुबादाला के साथ हुआ समझौता क्षेत्र में हमारी गतिविधियों को बढ़ाने की दिशा में अहम क़दम था और क्षेत्रीय देशों के साथ संबंध मज़बूत करने के हमारे मक़सद का भी हिस्सा है.”

मास-वासाद फ़लस्तीनी मूल की इसराइली नागरिक हैं और अरबी भाषा में डायटिंग की सलाह देने वाली वेबसाइट और एप डावसात की सह-संस्थापक हैं.

अब्राहम समझौतों की वजह से उन्हें अपने कारोबार को पड़ोसी अरब देशों में फैलाने का मौका मिला है. टैली जिंगर उनकी सहयोगी हैं.

टैली कहती हैं कि ये समझौते उनके लिए गेमचेंजर साबित हुए हैं. अब वो और उनकी टीम के अन्य लोग आसानी से इसराइल, यूएई और बहरीन के बीच आ जा सकते हैं. वासाद भी अब अपने परिवार को लेकर अबु धाबी आ गई हैं.

“यूएई कई सबसे अहम मुद्दों पर वैश्विक अगुवा बनना चाहता है, सेहत इनमें सबसे आगे है.”

वासाद कहती हैं कि अब्राहम समझौते की वजह से दावसात समूची अरब दुनिया में अपने प्रभाव और असर को देख पा रही है.

केतकी शर्मा को उम्मीद है कि अब अरब दुनिया के दूसरे देश भी इसराइल से समझौता करना चाहेंगे क्योंकि वो यूएई के साथ हुए समझौते के सकारात्मक परिणाम देख रहे हैं.

“ये तो बस शुरुआत है, हम सब भविष्य को लेकर आशान्वित हैं.”

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