एप्पल प्रमुख ने टेक कंपनियों में महिलाओं की कमी पर कहा- बहाना नहीं चलेगा | Apple chief said on the lack of women in tech companies
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टिम
कुक
आईफ़ोन
बनाने
वाली
दुनिया
की
दिग्गज
कंपनी
एप्पल
के
सीईओ
टिम
कुक
ने
कहा
है
कि
टेक
कंपनियों
में
अब
भी
उतनी
महिलाएं
नहीं
हैं
जितनी
होनी
चाहिए
और
इसमें
उनकी
खुद
की
कंपनी
भी
शामिल
है.
बीबीसी
को
दिए
गए
एक
एक्सलूसिव
इंटरव्यू
में
कुक
ने
कहा
कि
अगर
कर्मचारियों
में
विविधता
नहीं
रही
रखी
गई,
तो
टेक्नोलॉजी
से
‘वो
सब
हासिल
नहीं
किया
जा
सकता
जो
कि
हो
सकता
है’.
उन्होंने
कहा
इस
सेक्टर
में
महिलाओं
की
कमी
के
लिए
‘कोई
भी
बहाना
नहीं
चल
सकता’.
कुक
ने
ये
भी
कहा
कि
ऑग्मेंटेड
रियलिटी
यानी
एआर
और
मेटावर्स
की
अवधारणा
बेहतरीन
है.
उन्होंने
कहा,
“भविष्य
में
लोग
सोचेंगे
कि
आखिर
हम
एआर
के
बिना
कैसे
जी
रहे
थे,
हम
इस
क्षेत्र
में
काफ़ी
निवेश
कर
रहे
हैं.”
दरअसल,
ऑग्मेंटेड
रियलिटी
डिजिटल
दुनिया
और
वास्तविक
दुनिया
का
मिश्रण
है.
इसे
उदाहरण
से
ऐसे
समझिए
कि
अगर
आप
कोई
फर्नीचर
अपने
घर
के
लिए
लेना
चाहते
हैं
तो
इसे
कैमरे
के
ज़रिए
आप
वर्चुअली
अपने
कमरे
में
फिट
करके
देख
सकते
हैं
कि
ये
आपके
घर
में
कैसा
लगेगा.
वहीं
मेटावर्स
एक
पूरी
वर्चुअल
दुनिया
है
जिसमें
बड़ी
टेक
कंपनियां
भारी-भरकम
निवेश
कर
रही
हैं.
हाल
ही
में
फेसबुक
ने
अपना
नाम
बदल
कर
मेटा
कर
लिया
जो
ये
दर्शाता
है
कि
मेटावर्स
टेक्नोलॉजी
उनकी
प्राथमिकता
का
अहम
हिस्सा
है.

BBC
टिम
कुक
और
ज़ो
क्लेनमैन
दुनिया
की
सबसे
अमीर
कंपनी
के
मुखिया
से
मुलाक़ात
मैं
टिम
कुक
से
कोरोना
महामारी
के
बाद
ब्रिटेन
की
उनकी
पहली
यात्रा
के
दौरान
मिली.
दुनिया
की
सबसे
अमीर
कंपनी
के
सीईओ
टिम
कुक
व्यक्तिगत
रूप
से
मिलनसार,
विनम्र
और
विचारशील
हैं.
वे
मृदुभाषी
हैं.
उन्होंने
वही
गहरे
रंग
के
कपड़े
पहने
हुए
थे
जो
उनका
ट्रेडमार्क
है.
हमने
ब्रिटिश
मौसम
का
मज़ाक
उड़ाया
और
उन्होंने
महारानी
एलिज़ाबेथ
द्वितीय
की
मृत्यु
पर
अपनी
संवेदना
व्यक्त
की.
उन्होंने
बताया
कि
काम
और
जीवन
के
संतुलन
को
बनाने
में
बहुत
महान
रोल
मॉडल
नहीं
हैं.
वर्क
लाइफ
बैलेंस
जैसे
वाक्य
को
वे
अपने
साथ
नहीं
जोड़ते.
वे
कहते
हैं
कि
व्यक्तिगत
और
काम
के
बीच
थोड़ी
सा
फर्क
है.
वे
आपस
में
मिले
हुए
हैं.
उन्होंने
कहा
कि
वे
उन
मुद्दों
को
अलग
करने
की
कोशिश
करते
हैं
जो
उनके
कंट्रोल
से
बाहर
हैं.
मुझे
पता
है
कि
वे
वहां
हैं
लेकिन
मुझे
उसका
जुनून
नहीं
है.
मेरे
पास
बीबीसी
ऑडियो
रिकॉर्डर
था
जिसे
देखकर
वे
काफी
खुश
हुए.
इंटरव्यू
खत्म
होने
के
बाद
उन्होंने
वो
रिकॉर्डर
कहीं
बार
अपने
हाथ
में
लेकर
देखा.

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भारतीय
आईटी
कंपनी
‘महिलाओं
की
कमी
पर
कोई
बहाना
नहीं’
एप्पल
ने
हाल
ही
में
ब्रिटेन
में
महिला
संस्थापकों
और
ऐप
डेवलपर्स
के
लिए
अपना
फ़ाउंडर्स
डेवलपमेंट
प्रोग्राम
शुरू
किया
है.
कुक
ने
कहा,
“मुझे
लगता
है
कि
तकनीक
का
सार
और
मानवता
पर
इसका
प्रभाव
महिलाओं
की
इस
दुनिया
में
मौजूदगी
पर
निर्भर
करता
है.”
“तकनीक
एक
बेहतीन
चीज़
है
जिससे
कई
सारी
चीज़ें
संभव
हो
सकती
हैं,
लेकिन
जब
तक
बातचीत
की
मेज
पर
विचारों
की
विविधता
नहीं
होगी
तब
तक
बेहतरीन
समाधान
नहीं
पाए
जा
सकेंगे.”
वो
कहते
हैं
कि
विविधता
के
क्षेत्र
में
एप्पल
सहित
कंपनियों
ने
थोड़ा
सुधार
किया
है
लेकिन
टेक
की
दुनिया
में
महिलाओं
की
कम
भागीदारी
को
लेकर
कोई
बहाना
नहीं
बनाया
जा
सकता.
एप्पल
के
विविधता
के
आँकड़ों
के
अनुसार,
साल
2021
में
अमेरिका
में
35%
महिला
कर्मचारी
थीं.
एप्पल
ने
2014
में
बिना
पीरियड
ट्रैकर
के
हेल्थ
किट
लॉन्च
की.
इसके
कारण
आरोप
लगे
कि
यह
इसके
डेवलपर्स
के
बीच
पुरुष
पूर्वाग्रह
का
एक
नमूना
है.

BBC
महिलाओं
का
प्रतिनिधित्व
इस
क्षेत्र
के
सामने
एक
चुनौती
ये
है
कि
स्कूल
में
विज्ञान,
तकनीक,
इंजीनियरिंग
और
गणित
विषयों
को
चुनने
के
मामले
में
लड़कियों
की
कमी
है.
कुक
कहते
हैं,
“कंपनियां
ये
नहीं
कह
सकती
कि
‘कंप्यूटर
साइंस
लेने
वाली
पर्याप्त
महिलाएं
नहीं
हैं
–
इसलिए
हम
पर्याप्त
महिलाओं
को
नौकरी
नहीं
दे
सकते.”
“हमें
उन
लोगों
की
संख्या
को
मौलिक
रूप
से
बदलना
होगा
जो
कंप्यूटर
साइंस
और
प्रोग्रामिंग
ले
रहे
हैं.”
उनका
मानना
है
कि
हर
किसी
को
स्कूल
ख़त्म
होने
तक
किसी
न
किसी
तरह
का
कोडिंग
कोर्स
करना
चाहिए,
ताकि
कोडिंग
कैसे
काम
करती
है
और
ऐप
कैसे
बनाए
जाते
हैं,
इसका
“कामकाज़ी
ज्ञान”
उनके
पास
हो.

BBC
ऐप
फ़ाउंडर
एलेक्सिया
डी
ब्रोगली,
सहर
फ़िकोही,
एरियाना
अलेक्जेंडर-सेफ़्रे
और
ज़ो
डेसमंड.
एलेक्सिया,
एरियाना
और
ज़ो
सभी
एपल
के
यूके
फाउंडर
प्रोग्राम
का
हिस्सा
हैं.
बराबरी
की
जगह
हमने
टिम
कुक
के
साथ
महिलाओं
के
एक
छोटे
समूह
से
मुलाकात
की
जिन्होंने
एप्पल
का
नया
प्रोग्राम
ज्वाइन
किया
है.
उनमें
से
एक
एलेक्सिया
डी
ब्रोगली
हैं,
जिसने
महिलाओं
और
नॉन-बाइनरी
लोगों
के
लिए
‘योर
जूनो’
नाम
का
एक
फाइनेंस
एजुकेशन
ऐप
बनाया.
एलेक्सिया
इस
बात
से
हैरान
थी
कि
जब
पता
चला
उनकी
महिला
दोस्त
फाइनेंस
को
लेकर
कितनी
कम
समझ
रखती
हैं.
उन्होंने
कहा
कि
वह
फाउंडर्स
के
कुछ
व्हाट्सएप
ग्रुप
में
हैं
और
उनमें
से
90%
सदस्य
सिर्फ
मर्द
हैं.
एरियाना
अलेक्जेंडर-सेफ़्रे
ने
युवा
लोगों
के
लिए
एक
वेलनेस
ऐप
‘स्पोक’
बनाई
है.
ये
ऐप
उन्होंने
तब
बनाई
जब
उनके
छोटे
भाई
के
एक
दोस्त
ने
खुदकुशी
कर
ली
थी.
वह
कहती
हैं,
“मुझे
आशा
है
कि
पांच
सालों
में,
फीमेल
फाउंडर्स
की
बात
भी
नहीं
होगी,
उनकी
गिलती
उन
लोगों
के
रूप
में
होगी
जो
अलग-अलग
चीजों
पर
काम
कर
रही
हैं.
मैं
देखना
चाहूंगी
जब
सभी
को
एक
समान
मौके
और
काम
करने
की
जगह
मिलेगी.”
(बीबीसी
हिन्दी
के
एंड्रॉएड
ऐप
के
लिए
आप
यहां
क्लिक
कर
सकते
हैं.
आप
हमें
फ़ेसबुक,
ट्विटर,
इंस्टाग्राम
और
यूट्यूब
पर
फ़ॉलो
भी
कर
सकते
हैं.)