भारत के खिलाफ अमेरिका की पहली बड़ी कार्रवाई, भारतीय तेल कंपनी पर लगाया प्रतिबंध, खटपट शुरू! | america imposed sanctions on indian firm Tibalaji Petrochem Pvt. Ltd for oil trade with Iran

अमेरिका
की
पहली
बड़ी
कार्रवाई
अमेरिका
का
ये
प्रतिबंधात्मक
कार्रवाई
किसी
भारतीय
कंपनी
के
खिलाफ
इस
तरह
का
पहला
प्रतिबंध
है,
और
यह
विदेश
मंत्री
एस
जयशंकर
की
अमेरिका
यात्रा
खत्म
होने
के
फौरन
बात
किया
गया
है।
यानि,
बहुत
साफ
संकेत
मिल
रहे
हैं,
कि
भारतीय
विदेश
मंत्री
ने
अमेरिका
को
जो
आइना
दिखाया
है,
वो
उसे
पसंद
नहीं
आया
है।
भारतीय
विदेश
मंत्री
ने
अमेरिका
दौरे
के
दौरान
बाइडेन
प्रशासन
के
सामने
ईरान
और
वेनेजुएला
से
तेल
आयात
नहीं
करने
देने
को
लेकर
शिकायत
की
थी
और
जयशंकर
ने
साफ
शब्दों
में
कहा
था,
कि
तेल
की
भारी
कीमत
भारत
की
‘पीठ
तोड़
रही
है।’
आपको
बता
दें
कि,
डोनाल्ड
ट्रंप
प्रशासन
ने
साल
2019
में
ईरान
के
खिलाफ
सख्त
प्रतिबंधों
की
घोषणा
की
थी
और
उसके
बाद
से
ही
भारत
को
ईरान
से
तेल
खरीददारी
बंद
करने
के
लिए
मजबूर
होना
पड़ा
था।
अमेरिकी
प्रतिबंध
से
पहले
भारत,
ईरानी
तेल
का
चीन
के
बाद
दूसरा
सबसे
बड़ा
खरीदार
था।

भारत
सरकार
दे
रही
है
ध्यान
आधिकारिक
सूत्रों
ने
द
प्रिंट
को
बताया
कि,
तिबालाजी
पेट्रोकेम
प्राइवेट
लिमिटेड
कंपनी
पर
लगाए
गये
प्रतिबंधों
को
लेकर
भारत
सरकार
सतर्क
है
और
सरकार
इस
पूरे
मामले
पर
ध्यान
दे
रही
है।
आपको
बता
दें
कि,
तिबालाजी
पेट्रोकेम
प्राइवेट
लिमिटेड
एक
वाणिज्यिक
इकाई
है।
रिपोर्ट
के
मुताबिक,
इस
कंपनी
पर
सेकेंड्री
प्रतिबंध
लगाए
गये
हैं।
इस
कंपनी
की
स्थापना
2018
में
की
गई
थी।
रिपोर्ट
के
मुताबिक,
इस
कंपनी
ने
ईरानी
ट्रिलियंस
पेट्रोकेमिकल
कंपनी
लिमिटेड
से
लाखों
अमेरिकी
डॉलर्स
के
तेल
और
पेट्रोकेमिकल्स
प्रोडक्ट्स
खरीदे
हैं।
वहीं,
यूएस
ट्रेजरी
डिपार्टमेंट
ने
भारतीय
कंपनी
पर
लगाए
गये
प्रतिबंधों
के
बाद
कहा
है
कि,
“भारत
स्थित
पेट्रोकेमिकल
कंपनी
तिबालाजी
पेट्रोकेम
प्राइवेट
लिमिटेड
ने
ईरानी
ट्रिलियंस
पेट्रोकेमिकल
से
लाखों
डॉलर
के
तेल
खरीदकर
उसे
चीन
भेज
दिया।”
अमेरिका
ने
भारतीय
कंपनी
के
अलावा
सात
और
कंपनियों
पर
भी
प्रतिबंध
लगाए
हैं,
जो
संयुक्त
अरब
अमीरात,
हांगकांग
और
चीन
की
हैं।

और
तेज
होगी
हमारी
कार्रवाई-
अमेरिका
वहीं,
अमेरिकी
विदेश
मंत्री
एंटनी
ब्लिंकन
ने
कहा
है
कि,
‘ईरान
अपने
न्यूक्लियर
प्रोग्राम
को
तेजी
से
आगे
बढ़ा
रहा
है
और
वो
जेसीपीओए
का
उल्लंघन
कर
रहा
है,
लिहाजा
हम
ईरानी
तेल
व्यापार
पर
प्रतिबंधों
में
और
तेजी
लाएंगे।’
वहीं,
अमेरिकी
प्रतिबंधों
को
लेकर
अभी
तक
भारत
सरकार
की
तरफ
से
कोई
आधिकारिक
बयान
नहीं
आया
है,
लेकिन
विशेषज्ञों
का
कहना
है
कि,
अमेरिकी
प्रतिबंध
चिंताजनक
है
और
प्रतिबंध
लगाने
की
टाइमिंग
भी
सही
नहीं
है,
क्योंकि
भारतीय
विदेश
मंत्री
अभी
अपना
दौरा
खत्म
कर
अमेरिका
से
लौटे
ही
हैं।
उन्होंने
अमेरिका
के
कई
वरिष्ठ
अधिकारियों
के
साथ
मुलाकात
की
थी,
जिनमें
अमेरिकी
विदेश
मंत्री
एंटनी
ब्लिंकन
और
अमेरिकी
रक्षा
मंत्री
लॉयड
ऑस्टिन
भी
शामिल
थे।
एस.
जयशंकर
ने
अमेरिकी
एनएसए
जैक
सुलिवन
और
वाणिज्य
मंत्री
जीएम
रेमंडो
से
भी
मुलाकात
की
थी।

ईरान
की
तरफ
फिर
से
भारत
का
फोकस
भारत
ने
हालिया
वक्त
में
एक
बार
फिर
से
ईरान
की
तरफ
ध्यान
देना
शुरू
कर
दिया
है
और
भारत
कई
बार
घरेलू
बाजार
में
तेल
की
कीमतों
का
जिक्र
करते
हुए
ईरानी
तेल
से
प्रतिबंध
हटाने
के
लिए
अमेरिका
से
कह
चुका
है।
वहीं,
भारत
सरकार
ने
आईएनएसटीसी
यानि,
इंटरनेशनलन
नॉर्थ
साउथ
कॉरिडोर
पर
भी
काफी
ध्यान
दिया
है,
जो
रूस
को
ईरान
के
चाबहार
पोर्ट
से
जोड़ता
है,
जिसका
निर्माण
भारत
ने
करवाया
है।
वहीं,
पीएम
मोदी
की
इसी
महीने
उज्बेकिस्तान
के
समरकंद
में
ईरान
के
राष्ट्रपति
इब्राहिम
रायसी
के
साथ
द्विपक्षीय
मुलाकात
हुई
थी,
जिसमें
ईरान
ने
एक
बार
फिर
से
भारत
से
तेल
खरीदने
का
आग्रह
किया
है।
वहीं,
रिपोर्ट
है
कि,
ईरान
ने
30
प्रतिशत
डिस्काउंट
पर
भारत
को
तेल
बेचने
का
प्रस्ताव
रखा
है
और
इस
ऑफर
पर
फैसला
लेने
के
लिए
भारत
तो
ईरान
ने
90
दिनों
का
वक्त
दिया
है।
वहीं,
पीएम
मोदी
और
ईरानी
राष्ट्रपति
ने
कनेक्टिविटी
लिंक
पर
भी
जोर
दिया
था,
जिसका
मकसद
व्यापार
को
सरल
और
सुगम
बनाना
है।

तिबालाजी
पेट्रोकेम
प्राइवेट
लिमिटेड
पर
असर
आरओसी
फाइलिंग
के
मुताबिक,
मार्च
2021
तक
तिबालाजी
पेट्रोकेम
प्राइवेट
लिमिटेड
का
टर्नओवर
597.26
करोड़
था।
जब
साल
2018
में
कंपनी
की
स्थापना
की
गई
थी,
उस
वक्त
कंपनी
का
नाम
Tiba
Petrochemical
था,
लेकिन
मार्च
2020
में
कंपनी
ने
अपना
नाम
बदलकर
Tibalaji
Petrochem
Pvt.
Ltd
कर
लिया।
वहीं,
कंपनी
ने
इस
साल
जनवरी
में
घोषणा
की
थी,
कि
वो
एग्रीकल्चर
सेक्टर
में
भी
कारोबार
करेगी।
आपको
बता
दें
कि,
बाइडेन
प्रशासन
ईरान
परमाणु
समझौते
पर
फिर
से
बातचीत
करना
चाहता
है।
लिहाजा
बाइडेन
के
विदेश
मंत्री
ब्लिंकन
ने
कहा
कि,
“ईरान
के
तेल
और
पेट्रोकेमिकल
निर्यात
को
गंभीर
रूप
से
प्रतिबंधित
करने
के
उद्देश्य
से”
ये
प्रवर्तन
नियमित
आधार
पर
जारी
रहेगा।
उन्होंने
कहा,
“अगर
कोई
अमेरिकी
प्रतिबंधों
से
बचना
चाहता
है,
तो
इन
अवैध
बिक्री
और
लेनदेन
को
सुविधाजनक
बनाने
में
शामिल
किसी
भी
व्यक्ति
के
साथ
फौरन
कारोबार
को
बंद
कर
देना
चाहिए।”